Shree Ram Janki Baithe Hain Mere Seene Me Bhajan Lyrics
Contents
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे हिन्दी लिरिक्स
” श्लोक “नहीं चलाओ बाण व्यंग के ऐह विभीषणताना ना सेह पाऊं, क्यों तोड़ी है यह माला,तुझे ए लंकापति बतलाऊंमुझ में भी है तुझ में भी है, सब में है समझाऊंऐ लंका पति विभीषण ले देख मैं तुझ को आज दिखाऊं
” श्लोक “
अनमोल कोई भी चीज मेरे काम की नहींदिखती अगर उसमे छवि सिया राम की नहीं
यहाँ प्रसिद्ध भजन “श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में” के संपूर्ण हिंदी बोल प्रस्तुत हैं, जिसे लखबीर सिंह लक्खा ने स्वरबद्ध किया है।
🎵 श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में – भजन लिरिक्स
ना चलाओ बाण,
व्यंग के ऐ विभीषण,
ताना ना सह पाऊं,
क्यों तोड़ी है ये माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझमें भी है तुझमें भी है,
सब में है समझाऊँ,
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं।।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।।
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।।
अनमोल कोई भी चीज,
मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमें छवि,
सिया राम की नहीं।।
राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ,
सिया राम का सदा ही मैं चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।।
फाड़ सीना है, सब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना सागर के मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।।
यह भजन रामभक्त हनुमान की भक्ति और समर्पण को दर्शाता है, जिसमें वे अपने हृदय में श्री राम और माता जानकी की उपस्थिति का अनुभव करते हैं।
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नीचे प्रस्तुत है लोकप्रिय भजन “श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में…” — श्री राम और माता जानकी की मधुर भक्ति से भरा भजन, जो गौड़-आध्यात्मिक दीप्ति लाता है:
🎵 मुख्य भजन लिरिक्स
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।
अनमोल कोई भी चीज मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमें छवि सीया–राम की नहीं।
राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ,
सीया–राम का सदा ही मैं चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।
फ़ाड़ा सीना है सबको यह दिखला दिया,
भक्ति में है मस्ती, बेधड़‑क दिखला दिया,
कोई मस्ती ना सागर को मीनें में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।
📝 दोहा (प्रारंभ में पठन)
ना चलाओ बाण व्यंग के ऐ विभीषण,
ताना ना सह पाऊँ, क्यों तोड़ी है ये माला।
तुझे ऐ लंका-पति बतलाऊँ,
मुझमें भी है तुझमें भी है, सब में है समझाऊँ।
ऐ लंका-पति विभीषण, ले देख मैं तुझको आज दिखाऊँ।
🙏 भावार्थ
- “श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में” — भक्ति के परम आलोक में राम–सीता का सत्य रूप आत्मा में वास करता है।
- सांसारिक कीर्ति, वैभव, और यश से परे भक्ति की अनुभूति ही प्रार्थना है।
- भक्ति के मस्ती भरे आनन्द से जीवन अमृतमय हो उठा है।
- भक्ति की गहराई इतनी कि भक्ति करने वाले का हृदय भी फाड़कर राम–सीता का स्थान दिखाने को तैयार हो जाता है।
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