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Kabir Ke Dohe |
Top Kabir Ke Dohe In Hindi With Meaning
Contents
- 1 Top Kabir Ke Dohe In Hindi With Meaning
- 1.1 कबीर के दोहे अर्थ सहित
- 1.2 कबीर के दोहे इन हिंदी
- 1.3 हिंदी दोहे
- 1.4 कबीर के दोहे मीठी वाणी
- 1.5 Kabir Ke Dohe In Hindi
- 1.6 Kabir Das Ke Dohe In Hindi
- 1.7 Kabir Ke Dohe With Meaning
- 1.8 Kabir Das Poems In Hindi
- 1.9 About Kabir Das In Hindi
- 1.10 Kabir Das Dohe In Hindi
- 1.11 Dohe Of Kabir In Hindi
- 1.12 Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi With Meaning
- 1.13 Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi
- 1.14 Sant Kabir Ke Dohe In Hindi
- 1.15 Kabir Das In Hindi Dohe
- 1.16 Hindi Dohe With Meaning
- 1.17 Hindi Doha
- 1.18 Dohe Of Kabir
- 1.19 Dohe Of Kabir Das
- 1.20 Kabir Das Ke Dohe In Hindi With Meaning
- 1.21 Kabir Das Ji Ke Dohe
- 1.22 Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi Wikipedia
- 1.23 Dohas Of Kabir In Hindi
- 1.24 Dohe In Hindi With Meaning
- 1.25 Kabir Ji Ke Dohe
- 1.26 Kabir Ke Dohe In Hindi
- 1.27 Kabir Ke Dohe Sakhi Meaning In Hindi
- 1.28 Dohe Of Kabir Das In Hindi
- 1.29 Sant Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi
- 1.30 Sant Kabir Dohe In Hindi
- 1.31 Dohe With Meaning
- 1.32 Kabir Ki Suktiyan In Hindi
- 1.33 Kabir Ke Dohe Hindi Me
- 1.34 Dohas Of Kabir Das
- 1.35 Kabir Ke Dohe In Hindi Pdf
- 1.36 Kabir Das Poems In Hindi
- 1.37 Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi
- 1.38 Kabir Ke Dohe Arth Sahit
- 1.39 Sant Kabir Das Ke Dohe
- 1.40 Kabir Vani In Hindi
- 1.41 Kabir Das Ke Dohe Hindi Me
- 1.42 Kabir Das Poems In Hindi With Meaning
- 1.43 Doha Of Kabir
- 1.44 Easy Dohe In Hindi
- 1.45 Kabir Bani In Hindi
- 2 📜 संत कबीर दास के दोहे और उनके अर्थ
- 3 🌟 1.
- 4 🌟 2.
- 5 🌟 3.
- 6 🌟 4.
- 7 🌟 5.
- 8 🌟 6.
- 9 🌟 7.
- 10 🌟 8.
- 11 🌟 9.
- 12 🌟 10.
- 13 📚 और भी प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित
- 14 📜 कुल मिलाकर संदेश:
पंडित यदि पढि गुनि मुये,
गुरु बिना मिलै न ज्ञान।
ज्ञान बिना नहिं मुक्ति है,
सत्त शब्द परमान।।
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Sant Kabir Ke Dohe |
कबीर के दोहे
सब धरती कागज करूँ,
लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ,
गुरु गुण लिखा न जाय।।
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Kabir Ke Dohe With Meaning |
कबीरदास के दोहे
ज्ञान समागम प्रेम सुख,
दया भक्ति विश्वास।
गुरु सेवा ते पाइए,
सद् गुरु चरण निवास।।
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Kabir Ke Pad Hindi Me |
दोहे और उनके अर्थ
गुरु मूरति आगे खड़ी,
दुतिया भेद कुछ नाहिं।
उन्हीं कूं परनाम करि,
सकल तिमिर मिटि जाहिं।।
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Kabir Ke Amrit Vani |
कबीर के दोहे और उनके अर्थ
गुरु मूरति गति चन्द्रमा,
सेवक नैन चकोर।
आठ पहर निरखत रहे,
गुरु मूरति की ओर।।
कबीर के दोहे अर्थ सहित
गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोष।
गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष।।
कबीर के दोहे इन हिंदी
गुरु को सिर राखिये,
चलिये आज्ञा माहिं।
कहैं कबीर ता दास को,
तीन लोकों भय नाहिं।।
हिंदी दोहे
गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव।
बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।।
कबीर के दोहे मीठी वाणी
‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर ॥’
Kabir Ke Dohe In Hindi
गुरुब्रह्मा गुरुविर्ष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।।
Kabir Das Ke Dohe In Hindi
जो गुरु बसै बनारसी,
शीष समुन्दर तीर।
एक पलक बिखरे नहीं,
जो गुण होय शारीर।।
Kabir Ke Dohe With Meaning
गुरु समान दाता नहीं,
याचक शीष समान।
तीन लोक की सम्पदा,
सो गुरु दीन्ही दान।।
Kabir Das Poems In Hindi
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है,
गढ़ि – गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै,
बाहर बाहै चोट।।
About Kabir Das In Hindi
कुमति कीच चेला भरा,
गुरु ज्ञान जल होय।
जनम – जनम का मोरचा,
पल में डारे धोया।।
Kabir Das Dohe In Hindi
गुरु पारस को अन्तरो,
जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे,
ये करि लये महन्त।।
Dohe Of Kabir In Hindi
गुरु की आज्ञा आवै,
गुरु की आज्ञा जाय।
कहैं कबीर सो संत हैं,
आवागमन नशाय।।
Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi With Meaning
गुरु सो ज्ञान जु लीजिये,
सीस दीजये दान।
बहुतक भोंदू बहि गये,
सखि जीव अभिमान।।
Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर,आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर !!
Sant Kabir Ke Dohe In Hindi
साईं इतना दीजिए, जा में कुटम समाय, मै भी भूखा न रहूं, साधू न भूख जाय!!
Kabir Das In Hindi Dohe
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये।
Hindi Dohe With Meaning
नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए। मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए।
Hindi Doha
तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय। सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होए।
Dohe Of Kabir
सुख में सुमिरन सब करै दुख में करै न कोई, जो दुख में सुमिरन करै तो दुखा काहे होई!!
Dohe Of Kabir Das
माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे।
Kabir Das Ke Dohe In Hindi With Meaning
कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर। जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर।
Kabir Das Ji Ke Dohe
गुरु गोविंद दोनो खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय!!
Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi Wikipedia
“दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त, अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।”
Dohas Of Kabir In Hindi
“जाति न पूछो साधू की, पुच लीजिए ज्ञान, मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।”
Dohe In Hindi With Meaning
“माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।”
Kabir Ji Ke Dohe
“धीरे – धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।”
Kabir Ke Dohe In Hindi
“तिनका कबहूँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय, कबहूँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।”
Kabir Ke Dohe Sakhi Meaning In Hindi
“साधू ऐसा चाहिये, जैसा सूप सुभाय, सार – सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।”
Dohe Of Kabir Das In Hindi
“पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
Sant Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi
“बुरा जो देखन मैं देखन चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।”
Sant Kabir Dohe In Hindi
“जिही जिवरी से जाग बँधा, तु जनी बँधे कबीर। जासी आटा लौन ज्यों, सों समान शरीर।”
Dohe With Meaning
“जीवत कोय समुझै नहीं, मुवा न कह संदेश। तन – मन से परिचय नहीं, ताको क्या उपदेश।”
Kabir Ki Suktiyan In Hindi
“बनिजारे के बैल ज्यों, भरमि फिर्यो चहुँदेश। खाँड़ लादी भुस खात है, बिन सतगुरु उपदेश।”
Kabir Ke Dohe Hindi Me
“मन राजा नायक भया, टाँडा लादा जाय।, पूँजी गयी बिलाय।”
Dohas Of Kabir Das
“बार-बार तोसों कहा, सुन रे मनुवा नीच। बनजारे का बैल ज्यों, पैडा माही मीच।”
Kabir Ke Dohe In Hindi Pdf
“बन्दे तू कर बन्दगी, तो पावै दीदार। औसर मानुष जन्म का, बहुरि न बारम्बार।”
Kabir Das Poems In Hindi
“बहते को मत बहन दो, कर गहि एचहु ठौर। कह्यो सुन्यो मानै नहीं, शब्द कहो दुइ और।”
Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi
“गारी ही से उपजै, कलह कष्ट औ मीच। हारि चले सो सन्त है, लागि मरै सो नीच।”
Kabir Ke Dohe Arth Sahit
“गारी मोटा ज्ञान, जो रंचक उर में जरै। कोटी सँवारे काम, बैरि उलटि पायन परे। कोटि सँवारे काम, बैरि उलटि पायन परै। गारी सो क्या हान, हिरदै जो यह ज्ञान धरै।”
Sant Kabir Das Ke Dohe
कबीरा ते नर अंध हैं, गुरू को कहते और, हरि रुठे गुरु ठौर है, गुरू रुठे नहीं ठौर!
Kabir Vani In Hindi
“इष्ट मिले अरु मन मिले, मिले सकल रस रीति। कहैं कबीर तहँ जाइये, यह सन्तन की प्रीति।”
Kabir Das Ke Dohe Hindi Me
“कबीर तहाँ न जाइये, जहाँ सिध्द को गाँव। स्वामी कहै न बैठना, फिर-फिर पूछै नाँव।”
Kabir Das Poems In Hindi With Meaning
“जैसा भोजन खाइये, तैसा ही मन होय। जैसा पानी पीजिये, तैसी बानी सोय।”
Doha Of Kabir
“कबीर तहाँ न जाइये, जहाँ जो कुल को हेत। साधुपनो जाने नहीं, नाम बाप को लेत।”
Easy Dohe In Hindi
“कहते को कही जान दे, गुरु की सीख तू लेय। साकट जन औश्वान को, फेरि जवाब न देय।”
Kabir Bani In Hindi
“धर्म किये धन ना घटे, नदी न घट्ट नीर। अपनी आखों देखिले, यों कथि कहहिं कबीर।”
कबीर दास जी कहते हैं कि धर्म (परोपकार, दान सेवा) करने से धन नहीं घटना, देखो नदी सदैव बहती रहती है, परन्तु उसका जल घटता नहीं। धर्म करके स्वयं देख लो।
बिलकुल!
यह रहे 50+ संत कबीर दास जी के प्रसिद्ध दोहे अर्थ (व्याख्या) सहित हिंदी में — जो जीवन, भक्ति, प्रेम, व्यवहार और सच्चे ज्ञान पर अद्भुत संदेश देते हैं:
📜 संत कबीर दास के दोहे और उनके अर्थ
🌟 1.
“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥”
➔ अर्थ:
जब मैं दूसरों में बुराई खोजने निकला, तो कोई बुरा नहीं मिला। जब मैंने अपने मन में झाँका, तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं।
🌟 2.
“सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदय सांच है, ताके हिरदय आप॥”
➔ अर्थ:
सत्य से बढ़कर कोई तपस्या नहीं है और झूठ से बड़ा कोई पाप नहीं। जिस व्यक्ति के हृदय में सच्चाई बसती है, वहाँ स्वयं भगवान निवास करते हैं।
🌟 3.
“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥”
➔ अर्थ:
पुस्तकों का अध्ययन करते-करते संसार मर गया, लेकिन कोई भी सच्चा ज्ञानी नहीं बन पाया। सच्चा ज्ञानी वही है जो “प्रेम” के ढाई अक्षर को समझता है।
🌟 4.
“जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
सब अंधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहिं॥”
➔ अर्थ:
जब तक ‘मैं’ यानी अहंकार था, तब तक भगवान मेरे पास नहीं थे। जब ‘मैं’ समाप्त हुआ, तभी ईश्वर का प्रकाश मेरे भीतर हुआ।
🌟 5.
“धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥”
➔ अर्थ:
हे मनुष्य! हर कार्य धीरे-धीरे ही होता है। जैसे माली चाहे कितने भी घड़े पानी डाले, लेकिन फल ऋतु आने पर ही मिलते हैं। धैर्य जरूरी है।
🌟 6.
“चलती चाकी देख के, दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय॥”
➔ अर्थ:
कबीर कहते हैं कि चक्की (चाकी) के दो पाटों के बीच जो भी आता है, पिस जाता है। इसी तरह दुनिया के सुख-दुख के दो पाटों के बीच इंसान भी पिसता है।
🌟 7.
“दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय॥”
➔ अर्थ:
लोग दुख में भगवान को याद करते हैं, सुख में भूल जाते हैं। यदि सुख में भी ईश्वर का स्मरण करें, तो दुख कभी आए ही नहीं।
🌟 8.
“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥”
➔ अर्थ:
अगर गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े हों, तो मैं किसके चरण छूऊं? मैं तो अपने गुरु को नमन करूंगा, जिनके कारण मुझे भगवान का ज्ञान मिला।
🌟 9.
“जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥”
➔ अर्थ:
किसी संत या ज्ञानी की जाति नहीं पूछनी चाहिए, बल्कि उसके ज्ञान को देखना चाहिए। जैसे तलवार की कीमत होती है, न कि म्यान (कवर) की।
🌟 10.
“तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोय।
सहजै सब विधि पाइये, जे मन जोगी होय॥”
➔ अर्थ:
शरीर को संयमित करना तो बहुत लोग कर लेते हैं, पर मन को वश में करना दुर्लभ है। यदि मन पर नियंत्रण हो जाए तो सबकुछ सहजता से प्राप्त हो सकता है।
📚 और भी प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित
दोहा | अर्थ |
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“ज्यों तिल में तेल है, ज्यों चकमक में आग। तेरा सांई तुझ में है, जाग सके तो जाग॥” | जिस तरह तिल में तेल और पत्थर में आग छुपी होती है, उसी तरह परमात्मा भी तुम्हारे भीतर है, बस पहचानने की आवश्यकता है। |
“हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर।” | यदि भगवान नाराज हो जाएं तो गुरु के माध्यम से उन्हें मना सकते हैं, लेकिन यदि गुरु ही रूठ जाएं तो कोई सहारा नहीं बचता। |
“प्रेम न बाड़ी उपजै, प्रेम न हाट बिकाय। राजा प्रजा जेहि रूचै, शीश देइ ले जाय॥” | प्रेम न तो खेतों में उगाया जा सकता है, न बाजार में खरीदा जा सकता है। जिसे सच्चा प्रेम चाहिए, उसे अपना सबकुछ त्यागना पड़ता है। |
📜 कुल मिलाकर संदेश:
कबीर दास जी के दोहे हमें सच्चाई, प्रेम, विनम्रता, भक्ति, और आत्मचिंतन का गहरा पाठ सिखाते हैं। उनका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना सैकड़ों साल पहले था। 🌸
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